इस घरेलू कहावत में संसार का बड़ा सत्य छिपा है-
“अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।”
अर्थात्,अवसर निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है।
हम सभी के जीवन में ऐसे बहुत से अवसर आए होंगे जब हम पर ये कहावत चरितार्थ हुई होगी, काश! ये कार्य मैने ऐसे किया होता, काश! मैंने और पढ़ लिया होता, काश! मैने एक बार और प्रयास किया होता, काश! काश!….इस प्रकार के कई सवाल बचपन से लेकर अबतक हजारों बार हमारे मन में उठे होंगे। जैसे मेरे मन में मेरी दोस्त के लिए कई सारे काश! वाले सवाल रह गए,जो कुछ दिन पहले मुझे हमेशा के लिए छोड़कर चली गई।? काश! मैं उससे मिल ली होती, काश! वो वापस आ जाती, काश! ऐसा हुआ ही नहीं होता, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है।
यदि बीते समय में गलतियां हुई हैं तो अब उसको बार-बार सोचकर दुःखी होना क्या उचित है? हाँ उनपर आत्ममंथन किया जा सकता है जिससे आगे गलतियां दोहरायी न जाये।
पिछले साल के कितने परीक्षा के अवसर आज हमें स्मरण हैं? सम्भवतः आज हम पूरी तरह से भूल चुके हैं।
अतः जब भी कोई भूल हो तो मन ही मन कहिए, “तो क्या हुआ, इससे कुछ नहीं होगा”
क्योंकि यही सफल जीवन का मंत्र है।
Correct ?