साइकिलें आज के समय भारत में कोरोना योद्धा की तरह काम कर रही है, जो इनकी हेल्प लेता हैं ये उनकी हेल्प करती है, लॉकडाउन मे पुरे देश के लोगो ने इनकी हेल्प ली और इसने भरसक सबकी हेल्प करने की कोशिस की, सबको उनके गंतव्य स्थान तक पहुचाया।
अब भारत जब अनलॉक की तरफ बढ़ गया हैं, तब फिर यातायात की समस्या आ खड़ी हुई, क्यों की लोगो को सोशलडिटेन्सिंग का पालन करते हुये, अपने ऑफिस भी जाना है, अपने रोजमर्रा के कामो को भी निपटना है, भारत में बड़े शहरों में ज्यादातर लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज़ करते है, लेकिन कोविड-19 के बाद जिनके पास अपना साधन है वो उसे यूज़ कर रहे है, लेकिन जो गरीब लोग है उनके पास साईकल ही एक असली समाधान है। ये लोग इससे खुश भी है क्यों की वो सुरक्षित कही आ जा सकते है।
यही सही समय :
साइकिल के यूज़ को नियमित आदत बनाने का इस आदत से हम खुद को स्वस्थ रखने के साथ ही प्रदूषण कम करने मे महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है।
लेकिन इसके लिए हमारी सरकारों को भी आगे आकर ऐसी सड़को का निर्माण करना चाहिये , जिससे बाकि वाहनों की तरह इसकी यात्रा भी सुरक्षित हो। क्यों की लॉकडाउन ने ये तो समझा दिया है की बिना ईंधन के भी हम सफर कर सकते है।
स्टेटस की चिन्ता क्यों करते है :
हमरे यहाँ लोग स्टेटस मेन्टेन करने के चाकर में धीरे-धीरे साइकिल से दूर होते चले गये।
लेकिन इस लॉकडाउन में हमने अपने उस रूप को पहचाना जो हम असली में थे। इसलिए शायद हमने स्टेटस की चिन्ता किये बिना साइकिल की सवारी की, और खुद के करीब आये और खुद से मिले, यही तो हम थे शायद>
Well said ?