कर भला तो हो भला का अर्थ:
ये कहानी पढ़ने के बाद आपको समझ आयेगा की क्यों लोग कहते हैं की हमें सबके भले के बारे में सोचना चाहिये। क्योंकि हम सबने ये महसूस किया है कहीं ना कहीं, कभी ना कभी ‘कर भला तो हो भला’। इसलिये जब भी मौका मिले दूसरों की भलाई जरूर करना चाहिए।
कर भला तो हो भला इस कहानी के जरिये समझेंगे:
एक बार की बात है जब गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों का घर वापस जाने का समय हुआ तब गुरु ने शिष्यों का व्यवहारिक परीक्षा लेने का निर्णय किया। गुरु ने शिष्यों से कहा,मैने दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया है यह आप सबकी गुरुकुल की आखिरी परीक्षा है। सभी शिष्यों ने सहभागिता जताया। गुरु जी ने दौड़ को कई पड़ावों में बाँटा था। आखिरी पड़ाव में गुफा से होकर जाना था, जहाँ चुभने वाले पत्थर रखे गये थे। प्रतियोगिता शुरू हुई सभी शिष्यों ने शत् प्रतिशत दिया। कोई पहला, कोई आखिरी तो वहीं कुछ शिष्यों ने जीतने के बारे में न सोचकर चुभने वाले पत्थर हटाकर अपने जेब में रखा जिससे ये पत्थर किसी और को ना चुभे। गुरु जी ने उन शिष्यों को आगे आने को कहा,जिसने पत्थर हटाया और पत्थर दिखाने को कहा। तब सबने देखा, जिसे शिष्यों ने मामूली पत्थर समझ के उठाया था वो कीमती पत्थर थे। गुरूजी ने कहा ये मेरी तरफ से उन शिष्यों के लिए उपहार है जिन्होंने दूसरे का भला सोचा।
भला को उल्टा पढ़ो तो लाभ बनता है। हम जब भी किसी के लिए कुछ करते हैं तो तृप्ति मिलती है,कितना अच्छा महसूस होता है। तो जब भी अवसर मिले दूसरों के बारे में जरूर सोचें, कहते हैं ना “करके देखो अच्छा लगता है।”
Nice story