हर कोने में छिपा असफलता का भूत घात लगाकर हर एक इन्सान को अपना शिकार बनाने की ताक में रहता है। जिसने अनगिनत मनुष्यों को उनकी सामर्थ्य के अनुरूप प्रगति करने से वंचित कर दिया है। असफलता का यह भूत- “डर” है।
डर से #संदेह उत्पन्न होता है, संदेह से #साहस का नाश होता है, साहस नष्ट हो जाने पर कार्य पूरा नहीं हो पाता।जो व्यक्ति सोचता है- “मैं नहीं कर सकता” वह नहीं कर सकता। जो सोचता है – “मैं कर सकता हूँ” वही कर सकता है।
मानव सभ्यता का निर्माण वही कर पाया, जिसने खुद पर विश्वास किया,सफलता उसी को मिली जिसने खुद पर विश्वास करके असफलता के भूत को हराया। और असफलता उसी को मिली जिसने पहले ही सोच लिया “मैं नहीं कर सकता “। इसलिए ये नहीं कर सकता शब्द आपको अपने जीवन से हटाना होगा तभी जाकर आप असफलता को सफलता में बदल सकते है,ये बहुत ही आसान है जैसे (अ+सफलता=असफलता) वैसे ही (असफलता-अ=सफलता) । केवल(+,-) का अन्तर है। (+ ,-) केवल आपकी सोच हैं, और सही कहु तो आप वैसे ही बन जाते है जैसा की आप सोचते हैं।
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