पहले न्यूज़ ऐसी होती थी जिसे पढ़ कर मन में एक ज्वाला सी जलती थी, और आज की न्यूज़ ऐसी होती है जिसे पढ़ने के बाद Newspaper को ही जला देने का मन करता हैं। ऐसा क्यों हो रहा है,क्योकि न्यूज़ आज के समय में कुछ चुनिंदा लोगो के बारे में ही होती है, भारत इतना बड़ा देश है लेकिन न्यूज़ में ४०- ५० लोग मुश्किल से घूम फिर कर वही रहते है , आज-कल तो बस २-४ लोग ही न्यूज़ में रहते हैं।
ये मीडिया आज के टाइम पे गधा को भी हीरो बना सकती हैं, अगर उन्हें लग गया की ये TRP बढ़ा सकता है। न्यूज़ अब न्यूज़ नहीं व्यापार बन गया है, कई लोग कहते है की हर न्यूज़ किसी Particular political party or business का ही होता हैं और खबर भी उनके अनुसार क्रिएट की जाती है। जो उनके हीत में होता है वैसी ही न्यूज़ बना कर बार-बार चलते रहते हैं, जिससे लोगो को खबर पे भरोसा भी हो जाता है।
लेकिन देश में क्या-२ हो रहा है उन पर नजर तब जाती है जब कोई बड़ा मामला हो, छोटे मामलो में ये हाथ भी नहीं डालते। ये भी तो इन्ही के जिम्मे है, कौन छोटे मुद्दों को उठायेगा। इनके नजर में कुछ खास लोग होते हैं, जो अगर छींक भर मार दे तो ब्रेकिंग न्यूज़ बन सकती है, कुछ तात्कालिक मामलो में आप ने देखा होगा। इनसे ये ऊपर कब उठेंगे। ये बताइये की कोई एक न्यूज़ को ४ दिन क्यों देखना चाहेगा।
“तिल का ताड़” बना देते है:
कई खबर को तो ऐसे पेश करते हैं जैसे भारत मंगल पे अपने लोगो को उतार रहा हो।
ये बताइये की अगर 5-राफेल जेट इंडिया में आ गए तो, इससे चीन या पाकिस्तान क्यों डरेंगे , और चलिए मान लेते है की डर भी गये हो आज तो कल तक, आप क्या बोल रहे थे की हम ये कर देंगे वो कर देंगे। भारत के जवान हथियारों से नहीं हौसलों से लड़ते हैं। ये बताइये जब वॉर होगी तो बस हम 5-राफेल जेट से लड़ेंगे क्या नहीं न तो फिर ये क्यों ये एक ही खबर को बार-२ चला रहे है। हा ये अच्छी बात है की राफेल आ गया है। इससे ये नहीं की हम पूरी लड़ाई अभी जीत गये, अरे हम तो तब जीतेंगे जब हम खुद से राफेल जैसे जेट बनाने लगे।
आप सब कहेंगे कि मैं जो लिख रहा हूँ, आखिर वो क्या हैं न्यूज़ नहीं हैं, मेरे कहने पे न जाइये आप खुद समझिये, की असल न्यूज़ क्या हैं।
News का अर्थ:
NEWS का अर्थ अगर इस तरह देखे तो (North-East-West-South) इसका सीधा सा मतलब है, न्यूज़ हर दिशा से हर तरह की। लेकिन हमारे भारत में न्यूज़ बस एक मनोरंजन का साधन बनता जा रहा हैं। ख़ास कर इलेकट्रोनिक मीडिया आप आज के टाइम पे न्यूज़ देखिये सभी चैनल एक सी न्यूज़ दिखाते मिल जाएंगे कई बार तो आप को पता भी नहीं चलेगा की आप कौन सा न्यूज़ चैनल देख रहे हैं, क्योकि इनमे समानता ही इतनी हैं।
आज कल न्यूज़ में कुछ गिनी-चुन्नी खबरे ही होती हैं, और उसे भी ये २- ३ दिन, बार-बार बस चलाते रहते हैं। अगर कोई एक मुद्दा इन्हे मिल जाये सहीसा तब फिर क्या आप देखिये कैसे एक छोटी सी न्यूज़ को मसाला लगाकर ये बड़ा करते हैं। न्यूज़ को बड़ा बनाकर कई बार खुद ही फैसला भी सुना देते है, और ये सोचते भी नहीं है की कौन सही है कौन गलत। कई बार ब्रेकिंग न्यूज़ देने में ये भूल जाते है की, जिसकी ये ब्रेकिंग न्यूज़ दे रहे हैं, उससे सवाल पूछना अभी सही है या नहीं। इन्हे तो बस अपने बारे में सोचना है। लोगो की अनुभूति को हम कब समझेंगे,शायद तब जब हम खुद इस घटना का सामना करे तब।
न्यूज़ में २४x७ का भी कोई मतलब नहीं है। क्योकि जब टीवी यूजर कम होते है तब ये सीरियल से जुडी खबरें देते है, अब कोई शूटिंग हो रही है ये भी कोई न्यूज़ है। न्यूज़ में नया पन के साथ पारदर्शिता भी जरुरी है। इसके बिना सच्ची न्यूज़ कैसे बन सकती है।
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