आज हम गांव को आत्मनिर्भर बनाने की बात क्यों कर रहे हैं, जरूरत क्यों पड़ी क्यों की आज मजदूर शहर से गांव की तरफ आ रहे हैं, आने में जो उन्हें कठिनाइयों हो रही है, शायद इसलिए।
भारत में लोग गाँवों से, छोटे शहरों से, यहाँ तक की कुछ राज्यों से रोज़गार की तलाश में कुछ चुने हुये शहरों का ही रुख करते है , क्यों की ये अपने लोगो को रोज़गार नहीं दे सकते या जो रोज़गार के अवसर है वो न के बराबर है, देश में विकास के नाम पे स्टेट बनते गये, लेकिन इसमें क्या जनता का हित हुआ शायद नहीं , फिर इन सब का क्या फायदा।
आज जब कोरोना के कारण देश बेहाल है, तब हम सबको समझ में आया की, हर गांव, शहर की आर्थिक प्रगति जरूरी है।
चलो भाई देर ही सही किसी ने सोचा तो, की ऐसा होना चाहिए , बस मेरा यही सोचना है की ये एक सोच बनकर न रहे बल्कि मूर्त रूप ले। क्यों किसी को रोज़गार के लिए १,००० km
चलना पड़े।
न ही किसी को अपना गांव छोड़ना पड़े, न ही किसी का परिवार किसी से दूर हो, जो मूलभूत आवश्कतावो की तलाश में किसी को भटकन न पड़े।
अगर हम चाहते है की भारत आत्मनिर्भर बने तो उसका आरम्भ गांव से होना चाहिये।
जैसे की :
(१.) गांव की पाठशाल जो सरकार से जुड़ी हो, उसमे जो अध्यापक हो उस गांव के आस पास के गांव का हो।
(२.) हर गांव में एक डॉक्टर हो, ४- ५ गांव मिलकर कम से कम १० – बिस्तर का हॉस्पिटल हो।
(३.) गांव के लोगो को कृषि और लघु-उद्योग सम्बन्धी जानकारी देने के लिए किसी का प्रबंध हो, जो उन्हें अच्छी तरह से इन चीजों से अवगत कराये।
(४.) दैनिक ज़रूरतों की हर वस्तु को आस पास के गांव की भगौलिक परिस्थिति को देख कर, निर्माण करे।