3 मई 2020 को भारतीय सिनेमा के 107 साल पूरे हो गये। किसी भी देश का सिनेमा वहां के सामाजिक जीवन तथा रीति-रिवाजों का दर्पण होता है।
पहली भारतीय फिल्म 1913 में दादासाहब फाल्के द्वारा बनाई गई “राजा हरिश्चन्द्र” थी। यह एक “मूक” फिल्म थी, जो अत्यन्त लोकप्रिय हुई। और पहली बोलती फिल्म “आलम आरा” थी, जो अरदेशिर ईरानी द्वारा 1931 में बनाई गई।
आने वाले समय में स्वतंत्रता संग्राम व विभाजन जैसी घटनायें घटित हुई। उस समय बनी फिल्मों पर इन्हीं ऐतिहासिक घटनाओं का प्रभाव था। 1950 तक हिन्दी फिल्में “श्वेत-श्याम” से रंगीन हुई। संगीत फिल्मों का मुख्य अंग था। 1960-70 के दशक में फिल्मों में हिंसा का प्रभाव था।
1980-90 में प्रेम पर आधारित फिल्में वापस लोकप्रिय हुई। 1900-2000 तक बनी फिल्में भारत के बाहर भी लोकप्रिय हुई।
भारत में विश्व की सबसे अधिक फिल्में बनती हैं। बॉलीवुड विश्व का सबसे बड़ा फिल्म निर्माण उद्योग है। भारत के भिन्न-भिन्न भाषा व भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के आधार पर हिन्दी, तेलुगू, गुजराती, असमि, हरियाणवी, कश्मीरी, मराठी, मलयालम, कन्नड़, उड़िया, पंजाबी आदि भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत आते हैं।
बॉलीवुड में बदलाव जरुरी:
कुछ बदलाव जरुरी हैं, जैसे हमारे देश के सामाजिक परिवेश में किस तरह से लोगों की सोच को उनके नज़रिये को एक सही दिशा दे सके, क्योंकि सिनेमा इसीलिए था, हा मनोरंजन भी जरुरी हैं, लेकिन इसके लिये भी एक ठोस कहानी हो, जिसे कलाकार जिवंत करें। सिनेमा को केवल व्यपार ना समझा जाये।
सिनेमा में कलाकार हो हीरो नहीं:
क्यों की कलाकार अगर होगा तो ही कहानी जीवंत हो उठेगी, और अगर कहानी जीवित हो गई तो फिर आनंद आ जायेगा।
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