कौन कहता है कि, अकेले चल कर बदलाव नहीं आ सकता, आप एक बार कदम बढ़ाओ तो सही, हो सकता हैं की बहुत से लोग यही सोच कर बैठे हो की वो अकेले बदलाव कैसे ला सकते है।
इसलिए उठो और चलो बदलाव लाने, हो सकता है बदलाव की और आपका दूसरा-कदम कई लोगों के लिये उनका पहला-कदम बन जाये।
कई बार एक छोटा सा बांध का छेद भी नदी की बड़ी सी धारा की दिशा बदल देता है।
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