मीडिया ट्रायल या फिर फेक न्यूज:
हमारे देश में मीडिया को न्यूज़ देने की इतनी जल्दी हैं की, वो अब खुद ही फैसला सुना देती है की ये फलाना (स्त्री या पुरुष) आरोपी हैं। बिना सबूत के जजमेंट सही नहीं है,ये बात कब मीडिया समझेगा। रीया के केस में मीडिया ने जैसी न्यूज़ दिखाई हैं, सबको लगने लगा की हां ये दोषी हैं। २४ घंटे में २०-२२ घंटे देश की हर न्यूज़ को किनारे कर बस यही दिखाते रहें। अब वो सही है या गलत इससे क्या ही फर्क पड़ता हैं मीडिया को उसे तो बस सूत्रों के हवाले से बोल कर खबर चलानी हैं।
हां अगर खबर में मसाला न मिले तो पब्लिक को मजा नहीं आयेगा, और इस खबर में तो हर तरफ मसाला ही मसाला हैं, तो लोग भी जायका लेकर खबर देख रहें हैं। ये बात मीडिया को अपनी TRP देख कर पता चल चूका हैं। फिर क्या जहाँ अभी तक एक रिपोर्टर था वहा ४-रिपोर्टर भेज दिये , कमाल हैं ना।
बिना सबूत के किसी को दोषी ठहराना भी तो एक तरह से फेक न्यूज़ ही हुई। तो इसलिए उन मीडिया चैनेल से आग्रह है की वो फेक न्यूज़ पे कोई नया एपिसोड न करें क्यों की वो फेक न्यूज़ तो पहले से ही दे रहे हैं।
देखिये मुझे भी नहीं पता है की कौन सही है या गलत, मगर इसका ये मतलब तो नहीं है की मुझे जो सही लगे उसको सही बोल दू बिना किसी प्रमाड के, ये सही निर्णय तो नहीं होगा।
ड्रग्स का कारोबार बंद क्यों नहीं होता:
ड्रग्स के लिए रीया को ही नहीं उस सरकारी तंत्र को भी गिरफ्तार करो जो इसे फलने-फूलने का मौका देता हैं। क्या सरकारी तंत्र को नहीं पता की ये सब कहा होता हैं, कौन करता हैं, सब पता हैं। लेकिन मूकदर्शक बन कर रह जाते हैं चंद रुपयों के लिए। आम पब्लिक को पूछ लो तो वो बता दे। लेकिन इनकी आँखो पे तो मानों पट्टी बंधी हैं और वो भी कस के जो कुछ बहुत बड़ा हो जाने पर कुछ समय के लिए थोड़ी सी खुलती हैं। और जैसे ही खबर थोड़ी पुरानी हुई पट्टी वापस आँखों पे बंधने लगती हैं, देखते हैं इस बार पट्टी कितने देर के लिए खुलती हैं।
आज का युवा इस नशे के दलदल में बहुत तेजी से फंसता जा रहा हैं :
हमारे देश का युवा बाहर के Culture और Film देख कर बहुत कुछ ऐसा सीख रहा हैं, जो सही नहीं हैं। जैसे Marijuana के बारे में तो हम ऐसे बात करते हैं जैसे कोई अमृत हो। यही सोच तो , युवा वर्ग को भ्रमित कर रही हैं। इस भ्रम से निकलना बहुत जरुरी हैं , और सबके पास एक मोका इस लॉकडाउन के कारण बन गया होगा इससे निकलने का, हो सके तो किसी न किसी तरह इस भ्रम से निकलिए। क्योंकि कोई इस भ्रम से आपको निकालने नहीं आयेगा, आपको इस नशे का भ्रम जाल खुद ही तोड़ना होगा और इसे तोड़ने का सही समय यही हैं। हमें समझना होगा की हर हर्बल चीज हमारे लिए अच्छी ही हो जरुरी नहीं हैं।
Sahi hai