राजभाषा हिन्दी (अनुच्छेद 343 – 351) :
14 सितम्बर 1949 को संविधान की भाषा समिति ने “हिन्दी” को राजभाषा घोषित किया। 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हम “हिन्दी दिवस” का आयोजन करते हैं परन्तु वहीं अपने ही जन्म स्थान पर हिन्दी भाषा की हम उपेक्षा भी कर रहे हैं। हमारे देश भारत को आजादी दिलाने में भी हिन्दी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान था क्योंकि तब भी और आज भी हमारे देश में सर्वाधिक बोलने व समझने की भाषा हिन्दी है, किन्तु आज भी हम “हिन्दी” को “राष्ट्रभाषा” का दर्जा नहीं पाये।
‘हिन्दी’ को तिरस्कृत व उपेक्षित समझ रहे हैं। केवल 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस का आयोजन करके, हिन्दी में भाषण, वक्तव्य, लेखन करके हिन्दी दिवस मना लेने से हम “हिन्दी भाषा” की सार्थकता सिद्ध नहीं कर सकते।
महत्व :
हिन्दी की महत्ता को समझते हुए आने वाली पीढ़ी को इसका महत्व समझाना होगा। हिन्दी भाषा का प्रयोग हमें अधिक से अधिक करना चाहिए, ताकि हम हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिला सकें। नई शिक्षा नीति -2020 में इसका प्रावधान किया गया है। हिन्दी भाषा हजारों वर्ष पुरानी भाषा है।
महात्मा गांधी जी ने कहा था – “भारतीय भाषाओं में केवल हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसे “राष्ट्रभाषा” के रुप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है। यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रुप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है। ”
हिन्दी प्रोत्साहन पुरस्कार :
(1) राजभाषा गौरव पुरस्कार
यह पुरस्कार हिन्दी दिवस पर, हिन्दी भाषा के पुस्तक लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है, जो अन्य पुस्तक का अनुवाद ना हो।
- प्रथम पुरस्कार – 2 लाख व स्मृति चिन्ह
- द्वितीय पुरस्कार – 1.50 लाख व स्मृति चिन्ह
- तृतीय पुरस्कार – 75 हजार व स्मृति चिन्ह
- प्रोत्साहन – 10 हजार व स्मृति चिन्ह (10 व्यक्तियों को)
(2) राजभाषा कीर्ति पुरस्कार
यह पुरस्कार हिन्दी दिवस पर किसी विभाग, मण्डल, समिति आदि को दिया जाता है, जो हिन्दी भाषा की प्रगति के लिए सराहनीय कार्य कर रहा हो।
Rashtri hindi divas ki shubhakamnaye