जैसा की हम सब जानते हैं कि किसान को अन्नदाता भी कहा जाता है और अनाज (अन्न) हमारे जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज है जब हमारा पेट भरा होता है तभी हमें दूसरी चीजें भी अच्छी लगती हैं खाली पेट सब बेकार लगता है। इस सच्चाई को जानते हुए भी किसान को हमारे देश में सबसे कम महत्व दिया जाता है। हमारे देश की आजादी के इतने साल बाद हर वर्ग के सरकारी कर्मचरियों का वेतन कई गुना बढ़ गया और प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों की आमदनी भी बढ़ गई। एक किसान ही है जिसकी फसल की कीमत आज भी बहुत कम मिलती है जबकि खाद, बीज, डीजल का दाम और खेत में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी भी कई गुना बढ़ गई है इसलिए किसान का मुनाफा बहुत कम होता है जिसके कारण हर साल कई किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं।
जब कोरोना महामारी शुरू हुई और पूरे देश में लॉकडाउन हुआ था और जब सब लोग अपने घरों में बैठे थे उस समय भी किसान खेतों में अपनी फसल की कटाई कर रहा था ताकि हम लोगों के लिए अनाज उपलब्ध हो सके। अभी कुछ समय पहले सरकार की तरफ से जीडीपी की दर -23.9% बताई गई और इसमें सारे सेक्टर माइनस में चले गए केवल कृषि ही फायदे में यानि प्लस में था।
अब सरकार की तरफ से 2 कृषि बिल संसद में जल्दी से पास कर दिए गए बिना पर्याप्त चर्चा के और इसको लेकर किसान सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर इन बिलों का विरोध कर रहे हैं और विपक्ष के सांसद भी इनका विरोध कर रहे हैं साथ ही कई विपक्षी राजनीतिक दल भी इसका विरोध करने सड़कों पर उतरी हैं।
ऐसे में क्या ये सवाल नहीं उठता कि इस बिल को कोरोना के समय में लाने का फैसला सही नहीं था। जैसा की आप लोग जानते ही हैं की हमारा देश कृषि प्रधान देश है और लगभा 60-70% तक भारत की आबादी कृषि पर निर्भर करती है ऐसे में इस बिल जो अब कानून बन जायेगा का असर देश की बहुत बड़ी आबादी पर पड़ेगा। इस समय लोग कोरोना जैसी बीमारी से परेशान हैं ऊपर से किसानो को ये डर है की ये कानून उनको फायदा कम नुकसान ज्यादा पहुंचाएगा और उनकी हालत जो इस समय है उससे भी बुरी हो जाएगी। इसलिए कोरोना जैसी बीमारी को दरकिनार कर किसान सड़कों पर उतरे हैं ऐसे में कोरोना फैलने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है।
वैसे भी इस समय लोग बेरोजगारी, कोरोना बीमारी और गरीबी से परेशान किसी तरह जीवन जी रहे हैं उनको और किसी तरीके से परेशान न करके उनकी पहले से जो समस्याएं हैं उनको दूर करने में अगर सरकार मदद करे तो अच्छा होगा।
इसलिए सरकार को ऐसे बिल लाने से इस समय बचना चाहिए जिसमें लोगों के विरोध करने की आशंका ज्यादा हो और ऐसे बिलों को जब तक कोरोना है तब तक टाल देना चाहिए।