हर साल हिन्दू नव वर्ष को चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा से मनाया जाता हैं। इसे सनातन धर्म में नवसंवत्सर के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता हैं की भगवान ब्रह्मा द्वारा पूरे विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे और इन्हीं दिनों को सनातन धर्म में नव वर्ष के नाम से जाना है। इन सात दिनों को चैत्र मास के नवरात्र के रूप में भी मनाया जाता है। इन दिनों लोग अपनी मान्यता के अनुसार मां दुर्गा के व्रत रखते है और उनकी उपासना कर आने वाला वर्ष मंगलमय हो इसकी प्रथाना करते है।
हिन्दुओं का नया साल चैत्र नव रात्रि के पहले दिन यानी कि गुड़ी पड़वा पर हर साल हिन्दू कैलंडर के अनुसार पहले महीने के चन्द्र दिवस को नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस साल बताया जा रहा कि हिंदुओं के लिए आने वाला नवसंवत्सर 2075 शुभ होगा।
नक्षत्रों में बदलाव;
माना जाता है कि सनातन धर्म में का नया वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष से शुरू होता है तो इसी दिन से सभी ग्रह नक्षत्रों में भी बदलाव होता है जो आने वाले शुभ कार्यों, त्रासद के बारे में हमें पहले से ही सूचित कर देते है।
नये वातावरण की शुरुआत:
पेड़-पोधों में फूल, मंजर, कली इसी समय आना शुरू होते है, वातावरण मेख एक नया उल्लास होता है जो मन को खुशनुमा कर देता हैं। क्योंकि नव वर्ष का आगमन नवरात्रों से होता है तो लोगों धर्म के प्रति आस्था बड़ जाती है। जैसे कि हमने आपको बताया था कि ब्रह्मा जी ने पूरे विश्व को इसी दिन बनाया था, ओर भगवान विष्णु जी का पहला अवतार भी इसी दिन हुआ था। परम पुरुष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो हमेशा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महकती है। वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान विष्णु का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उच्च है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया। हर तरफ पकी फसल का दर्शन, आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। खेतों में हलचल, फसलों की कटाई, किसानों कि नई फसल तैयार होने को है खेतों में कतई कि चल पहल हर तरफ है। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों तरफ। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।
भगवान श्री राम का अवतार;
ना गर्मी, ना सर्दी, पुरा पावन काल। ऐसे में सूर्य कि चमकती किरणों को साक्षी मानते हुए भगवान श्री राम ने धरती पर अवतार लिया था जिसे रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है।