प्यार क्या है ,एक रूहानी एहसास जो आप को तभी हो सकता है, जब आप को प्यार हो जाये। और ये हर किसी को कभी ना कभी, किसी ना किसी से होता ही है। इसमें न कोई उम्र है ना कोई समय, ये कब किस मोड़ पर हो जाये पता नहीं।
कई बार तो इसके होने का अहसास भी देर से होता है, आप सब सोच रहें होंगे की भाई प्यार के बारे में बात कर रहा है कि ‘कोरोना’ के बारे में। अब क्या बतायें समानता की दोनों में कुछ ऐसी हैं कि जिक्र करना तो बनता हैं। प्यार और कोरोना दोनों में ही अगर ‘लक्षण’ हल्के हैं तब तक तो ठीक हैं, मगर जैसे ही ‘लक्षण’ बढ़ेगा दर्द दोनों ही बराबर देंगे। इसलिये दोनों से ही बचने की कोशिश करिये, कोरोना की तो vaccine आ गई है मगर प्यार की तो आपको खुद की ढूढ़नी पड़ेगी।
प्यार के प्रकार (Types of love):
१. बचपन का प्यार:
इस अवस्था में हमें नहीं पता होता है कि प्यार क्या है, लेकिन जाने- अनजाने में भी हम प्यार करते हैं, किसी के साथ हमे घण्टों खेलना अच्छा लगता है तो किसी के साथ किसी चीज की ज़िद्द करना अच्छा लगता हैं, ये अच्छा लगना ही तो प्यार हैं।
२. किशोरावस्था(teenager) का प्यार:
इस उम्र का प्यार कुछ अलग सा होता हैं, जैसे की teenage में होता हैं एक ‘अल्हड़’ सा प्यार जो किसी कि परवाह नहीं करता, इस उम्र में बस वो खुद की बात सुनता हैं, अभी तक जो भी उसने अपने जीवन से सीखा था आधा-अधूरा बस उसी को पूरा मान बैठता हैं, उसे लगता है की वो ही सही है और यही पे वो गलती करता हैं।
उसका प्यार ‘मतवाला’ सा हो जाता हैं, फिर उसे कहाँ किसी बात की फ़िक्र हैं। वो सोचता हैं की हर मुश्किल और बाधा वो आसानी से पार कर लेगा। कई बार किसी के आकर्षण को भी वो प्यार समझने की भूल कर बैठता हैं। इसमें उसकी भी क्या गलती उसकी उम्र ही ऐसी हैं की गलती तो होनी थी, क्योकि पहली बार वो भी तो इस परिस्थिति में फसा हैं।
३.परिपक्व(Mature)प्रेम:
यहाँ पे आपको अपना प्यार मिलता हैं, जिससे आपको सच्चा प्रेम होता हैं। और तब जा कर पता चलता हैं कि, मृग की भांति जिस कस्तूरी की तलाश में हम जंगल में भटक रहे थे, वो हमारे पास ही तो था , बस हमारी नजर उसपे नहीं पड़ी।
अब जा कर समझ में आता हैं कि teenage का मतवाला प्यार तो बस, बैमानी था।
सच तो ये है, अशल तो हैं, मैं वो नहीं मैं ये हूँ, वो तो कोई और ही था खुद से खुद की पहचान आज हुई।